तिथि: आश्विन कृष्ण चतुर्थी, गुरूवार, संवत्सर सिद्धार्थी, विक्रम संवत् २०८२
।। प्रकृति में घटती उस झङ्कार को सुन,
चित्त में उतरते संक्रमण काल को सुन,
व्यष्टि-समष्टि में व्याप्त यज्ञों के वाक् को सुन,
हे पार्थ! यही समय है अभिनव मार्ग को चुन,
जन्मान्तरों के प्रारब्धों को कर खण्ड खण्ड,
तू अनित्य प्रमादों के उत्सर्ग का यत्न चुन ।।