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Tuesday, October 13, 2015

आत्मीय संदेश...

।।नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ।। 

भक्ति और आध्यात्मिक विशेषज्ञता से परिपूर्ण हमारी संस्कृति ने वर्षों से हमारा उचित मार्गदर्शन किया है,अपनी वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं उदारता के कारण, अनेक आघातों का साक्षी होने के बावज़ूद भी इसकी पवित्रता एवं विराटता तनिक भी क्षीण नहीं हुई 
कालांतर में मनुष्य ने अपने सहज स्वाभाव पर स्वार्थों को अधिक वरीयता देने के कारण स्वयं को संकीर्णता का शिकार बनने हेतु खुला छोड़ दिया है,जिनके परांयण होकर कई विकृतियों ने समाज को अपने आवेश में जकड़ रखा है,परिणामतः अस्पष्टता और असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो गई है।  
अपने अहंकार को संतुष्ट करने हेतु स्व:निर्मित 
नारकीय स्थिति का दोष सनातन हिन्दू धर्म पर मढ़ने का असफल प्रयत्न निरंतर किया गया। 
गौरतलब है कि प्रमाणिक अध्ययन करने वालों द्वारा बिना किसी विश्लेषण के हिंदू धर्म को अवैज्ञानिक करार देना उनकी संकीर्ण वैज्ञानिकतापरायण दृष्टिकोण को उजागर करता है। 
आज से नवरात्रि का पावन पर्व प्रारंभ हो रहा है,आइए इस प्रकृति को नमन करते हुए इस विशेष योग में समाहित ऊर्जा को स्वयं में प्रवाहित करें और अध्यात्मिक चेतना जाग्रत कर अपने उद्गम का अध्ययन करें 
आइए इस समाज को शांति,ज्ञान एवं सहिष्णुता का परिचायक बनाने हेतु संकल्पित हो। 
जय हिंद 

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