।दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
प्रत्यक्ष परिवर्तन से पूर्व अप्रत्यक्ष परिवर्तन वैचारिक क्रांति के रूप में जन के मन में जन्मता है और कष्टों की पराकाष्ठा से त्रस्त समाज को स्वयं के अंदर झाँकने के लिए प्रेरित एवं विवश करता है, तदानुपरांत ज्ञान का सूर्य उदित होता है।
आइए इस योग का सदुपयोग करने हेतु अपने अंदर के रावण का वध करें फिर वह चाहे कितना भी विद्वान और बलशाली क्यों न हो।
आप सबका जीवन सदैव ज्ञान और प्रेम से परिपूर्ण हो।
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