भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, शनिवार, संवत्सर सिद्धार्थी, विक्रम संवत् २०८२ (श्री कृष्ण जन्माष्टमी)
काल का प्रादुर्भाव अनवरत मानवीय चेतना में घटित होता है, परन्तु कालातीत का प्रत्यक्ष अवतरण अति दुर्लभ व विशिष्ट संयोग से होता है।
इन युग परिवर्तनीय क्षणों में परमतत्व हमारे आंतरिक एवं बाह्य परिदृश्यों में जनित युद्धों में श्री विजय हेतु शक्ति, भक्ति एवं प्रज्ञा की पुष्टता प्रदान करें ऐसी प्रार्थना और मंगलकामना है।
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