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Sunday, August 10, 2025

परिवार का सामाजिक महत्त्व

तिथि: भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा, रविवार, संवत्सर सिद्धार्थी, विक्रम संवत् २०८२

जब व्यक्ति धन के लोभ या अहम् के अधीन हो अपने परिजनों से संबंध तिरस्कृत करता है, तब वह जीवन के उन सभी पहलुओं के लिए अंजान लोगों पर निर्भर हो जाता है जिसे धन के द्वारा कभी प्राप्त ही नहीं किया जा सकता।
जितनी जवाबदेही, निजता का सम्मान एवं परस्पर विश्वास का भाव परिवारजनों के मध्य सुदृढ़ हो सकता है उतना अंजान जनों से सदा अप्राप्य ही रहेगा चाहे कितने भी घनिष्ठ क्यों न हों।
और जो पक्ष धन से नहीं खरीदा जा सकता, अक्सर वही आपकी और आपके धन-संसाधनों की सुरक्षा व अभिवृद्धि सुनिश्चित करते हैं।

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