तिथि: श्रावण कृष्ण दशमी, रविवार, संवत्सर सिद्धार्थी, विक्रम संवत् २०८२
नयनों में सपने हज़ार तो क्या
दिल में उमंगे हो लाख तो क्या
यह जीवन स्वयं में अनमोल ही जान
अभिनव सृजन के मूल पहचान
जो दृष्टि यदि तू न पा सका
तो सबकुछ पाकर भी रहे कंगाल
These are not ordinary times, one may easily sense the tremors recent incidents have caused around the globe be it genocide in middle e...
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