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Tuesday, January 26, 2016
Thursday, January 21, 2016
भारतवासियों को समर्पित मेरा एक प्रयत्न
रोष व्यक्त करूँगा,क्रोध व्यक्त करूँगा
निष्कामकर्म करके मैं दोषमुक्त रहूँगा
मतभेद तो रहेंगे,फिर भी संग रहूँगा
छल-कपट कभी न करके मैं प्रेममग्न रहूँगा
साथी है सबहिं अपने ,कोई भेद न करूँगा
विषयमुक्त होकर,सबमें बसा रहूँगा
कदम तो मिला लो,ज़रा हाथ मेरा थामों
निकला हूं मैं अकेला,ज़रा कारवां बना दो
भेदभाव सब भुलाकर,अपना मुझे बना लो
मजबूत मैं रहूँगा,अखंड मैं रहूँगा
देवत्व का प्रतीक वह भारत बना रहूँगा।
जय हिंद।
रचनाकर्ता- अभिनव शुक्ल
Tuesday, January 19, 2016
To my fellow citizens
समस्त देशवासियों को एक भेंट:
जब उलझन हो कुछ कहने की,पक्ष-विपक्ष चुनने की
तब बेहतर है मैं मौन रहूँ,कुछ न कहूँ बस सुनता रहूँ
जब ऐसी डगर पर आओगे,तब तुम भी यही पाओगे
पक्ष-विपक्ष के किस्सों से,तुम भी विचलित हो जाओगे
क्रोध,आवेश और जोश में न जाने क्या-क्या कह जाओगे
पर भूलोगे तुम राष्ट्रहित और खोदोगे गौरव अपना
बेहतर है तुम भी मौन रहो,कुछ न कहो बस सुनते रहो।
राष्ट्रहित है इसमें कि हम सब मिलकर साथ चले
एक-दूसरे की श्रद्धा का मान करें सम्मान करें
त्यागें अपने स्वार्थ सभी और मुफ़्त की मलाई को
आओ हमसब मिलकर मिटायें-
इस भिखमंगी मानसिकता को।
चलते रहे अगर ऐसे ही तर्क-कुतर्क के यह फेरे
तो सुन लो मेरे प्रिय साथी,मिट जाएगी हस्ती अपनी।
जय हिंद।
रचनाकर्ता- अभिनव शुक्ल
Friday, January 1, 2016
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