समस्त देशवासियों को एक भेंट:
जब उलझन हो कुछ कहने की,पक्ष-विपक्ष चुनने की
तब बेहतर है मैं मौन रहूँ,कुछ न कहूँ बस सुनता रहूँ
जब ऐसी डगर पर आओगे,तब तुम भी यही पाओगे
पक्ष-विपक्ष के किस्सों से,तुम भी विचलित हो जाओगे
क्रोध,आवेश और जोश में न जाने क्या-क्या कह जाओगे
पर भूलोगे तुम राष्ट्रहित और खोदोगे गौरव अपना
बेहतर है तुम भी मौन रहो,कुछ न कहो बस सुनते रहो।
राष्ट्रहित है इसमें कि हम सब मिलकर साथ चले
एक-दूसरे की श्रद्धा का मान करें सम्मान करें
त्यागें अपने स्वार्थ सभी और मुफ़्त की मलाई को
आओ हमसब मिलकर मिटायें-
इस भिखमंगी मानसिकता को।
चलते रहे अगर ऐसे ही तर्क-कुतर्क के यह फेरे
तो सुन लो मेरे प्रिय साथी,मिट जाएगी हस्ती अपनी।
जय हिंद।
रचनाकर्ता- अभिनव शुक्ल
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