तिथि: चैत्र शुक्ल चतुर्थी, मंगलवार, संवत्सर कालयुक्त, विक्रम संवत् २०८२
परिणय सूत्र अधिकारों से ज़्यादा कर्तव्य, सम्मति, समन्वय एवं विश्वास पर आधारित होते हैं।
आपका समर्पित व सत्यनिष्ठ होना ही आपके अधिकारों का मूल है। प्रकृति ने हर जीव, वनस्पति और निर्जीव संरचना को एक दूसरे पर निर्भर किया है जबतक वे अपना अपना कर्म ठीक से करते है उनका सुख से अस्तित्व बनाए रखने का अधिकार भी उन्हें प्राप्त रहता है।